वो शाम ढल रही थी
युद्ध मे भारी रूप से घायल भारतीय सैनीक का हाल बताती कुछ पंक्तियाँ…..
वो शाम ढल रही थी,
काली रात चढ रही थी ।
अंधेरा नज़रो के आगे था,
पर वो आंख किसी से ना डर रही थी,
वो शाम ढल रही थी,
वो शाम ढल रही थी।
वो लड रहा था उसके लिए,
जो जी रहा था उसकी आस मे,
वो लड रहा था उसके लिए
जो जी रहा था उसकी सांस पे।
वो धड़कन अभी धड़क रही थी,
वो सांसे अभी भी चल रही थी,
वो लड रहा था अंधकार से , क्योंकि
वो शाम ढल रही थी,
वो शाम ढल रही थी।
वो शाम कभी तो ढल जएगी,
वो काली घटा तो चढ जएगी,
पर,,,,
पर जुड़ेगा उसका हौसला,
हिम्मत गले पड़ जाएगी,
और कह देगा अब वो रात से,
यह शाम कभी ना ढल पाएगी,
यह शाम कभी ना ढल पाएगी।

Extremely mind blowing
ReplyDeleteThank you 🙂
DeleteOnly thing that can describe my emotions after reading this ' जय हिन्द' ♥️
ReplyDeleteJai hind 🇮🇳🇮🇳
DeleteBadiya bro 👍🏻
ReplyDeleteThanks
DeleteBdia bro ✌ keep going
ReplyDeleteThanx yarr
DeleteBhai.. Superb yaar❤️❤️
ReplyDeleteThanks bhai
DeleteNice 💯🔥👏
ReplyDeleteEkdm mst h
ReplyDeleteJai hind bro
Jai hind 🇮🇳 🇮🇳
DeleteWow this is so good!!
ReplyDeleteJai Hind !!
Keep writing
Jai hind
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