एक पल की मोहलत
जो टूटा है उसे आज ही जोड़ ले जो अनकहा है उसे आज ही कह ले कल वक़्त का लिबास पहने एक फक़ीर आएगा तू एक पल की मोहलत मांगेगा वो उसी पल ले जाएगा अच्छा या बुरा , जैसे इकठा किया सब यही पर रह जाएगा जिनके लिए तू अपनो से दूर हुआ था अब तो बस दूर ही होता जाएगा उठ खड़े हो अपने परायो कि पहचान कर ले आज सबसे बड़ा दिन है इसका इस्तकबाल कर ले उन छूटी राहो पर आज ही चल ले उन अधूरी बातो को आज ही कर ले कल वक़्त का लिबास पहने एक फक़ीर आएगा तू एक पल की मोहलत मांगेगा वो उसी पल ले जाएग इस्तकबाल - स्वागत Presented and written by Hardik Bagaria